Ayodhya Ram Mandir History in Hindi | अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास

by जनवरी 24, 2024

परिचय

अयोध्या भूमि विवाद मुक़दमा कई सालों से चल रहा था। आख़िरकार, ९ नवंबर, ईसवी २०१९ को ५ न्यायाधीशों की संविधान पीठ द्वारा इस मामले का फैसला हिंदुओं के पक्ष में सुनाया गया। इस मंदिर की जमीन और मस्जिद के अवशेषों पर अध्ययन और शोध विवरण को साक्ष्य मानकर पर यह बड़ा फैसला लिया गया।

इस ऐतिहासिक फैसले के बाद ५ अगस्त, ईसवी २०२० की तारीख सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गई। क्योंकि, पं. श्री नरेन्द्र मोदीजी के हाथों आज ही के दिन अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण प्रारम्भ हुआ था।

अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास

लेकिन क्या आप जानते हैं, जो सुवर्ण पल के साक्षी हम हुए है, उसके पीछे कितना बड़ा इतिहास है? यही इस अयोध्या के राम मंदिर का इतिहास के इस लेख द्वारा हम जानेंगे।

मंदिर पर विवाद

मंदिर के इस इतिहास में कभी जगह को लेकर, कभी पूजा को लेकर तो कभी मंदिर के अवशेषों को लेकर कई विवाद हुए। इन समस्याओं के अनुसार, समय के अनुरूप इस पर अस्थायी समाधान भी निकाले गये।

लेकिन ये सवाल इतनी आसानी से हल नहीं हुआ। लेकिन ये सवाल उठा कैसे? इसका उत्तर पाने के लिए हमें अयोध्या के ४९६ वर्षों के इतिहास को समझना होगा।

राम मंदिर निर्माण की बात करें तो स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस मंदिर का निर्माण रामपुत्र कुश ने राम जन्मस्थान पर कराया था। जिसकी तब से कई बार मरम्मत की गयी। ईसा पूर्व ५ वीं शताब्दी में राजा विक्रमादित्य द्वारा इसके जीर्णोद्धार के अभिलेख मिलते हैं।

अयोध्या में राम मंदिर का विध्वंस

बाबर के सेनापति बाकी ताशकंदी को मीर बाकी के नाम से जाना जाता था। बाबरी मस्जिद के खंडहरों से मिले एक शिलालेख के अनुसार इसी मीर बाकी ने बाबर के आदेश पर राम मंदिर को नष्ट कर दिया था और उसके स्थान पर तीन गुम्बदों वाली मस्जिद बनवाई थी। बाबर के नाम पर इस मस्जिद का नाम बाबरी मस्जिद रखा गया।

मेरे अनुमान से और “अयोध्या रीविजिटेड” पुस्तक के लेखक किशोर कुणाल के अनुसार यह अभिलेख फर्जी है। बाबर न कभी अयोध्या आया था, और न उसने मंदिर को तोड़कर उसके स्थान पर मस्जिद बनाने का आदेश दिया था। इसलिए राम मंदिर का विध्वंस बाबर के शासनकाल के काफी समय बाद ईसवी १६६० में हुआ था।

उस समय औरंगजेब का शासन था और फ़ेदाई खान अयोध्या का गवर्नर था। औरंगजेब के आदेश पर फेदाई खान ने मंदिर को ध्वस्त कर दिया और यहां तीन गुंबद वाली एक बड़ी मस्जिद का निर्माण कराया।

यह दावा मुझे सही लगने का कारण यह है कि भारत में बाबर का शासनकाल बहुत छोटा, केवल चार वर्षों का था। दूसरा, बाबर कभी अयोध्या नहीं गया। इसलिए ऐसी बहुत कम संभावना है की ऐसा हुआ हो।

​टाइम्सऑफइंडिया के लेख अनुसार, बाबर से लेकर शाहजहाँ तक सभी शासक कुछ हद तक धार्मिक रूप से उदार थे। हालाँकि, औरंगजेब के सिंहासन पर बैठने के बाद, उसने कट्टर मुस्लिम नीति अपनाई। इसलिए गद्दी पर बैठने के बाद उसने जबरन दूसरे धर्मों का धर्म परिवर्तन कराना, मंदिरों को नष्ट करना और उसके मूर्तियां स्मारकों को तोड़-फोड़ देना शुरू कर दिया।

अत: अयोध्या में राम मंदिर का विध्वंस और उसके स्थान पर मस्जिद का निर्माण भी इसी काल में हुआ होगा। कोर्ट ने शिलालेख और ए. एस. एन. द्वारा दिए विवरण को साक्ष्य मानकर यह अहम फैसला सुनाया।

राजपूत राजा जय सिंह द्वितीय द्वारा अयोध्या जमीन हासिल करने के लिए प्रयत्न

राजपूत राजा जय सिंह द्वितीय हिंदुओं के लिए इस स्थान के महत्व को जानते थे। जिसके कारण ईसवी १७१७ में उन्होंने इस जगह को हासिल करने के लिए मुग़ल सम्राट फर्रुख सियार से बात की।

उस वक्त उनके मुग़लों से रिश्ते अच्छे थे, लेकिन उन्हें वह जगह नहीं मिली। इसलिए, वे मस्जिद के पास एक राम चबूतरा बनाते हैं, ताकि राम भक्त कम से कम अयोध्या में पूजा कर सकें।


हिंदू संगठनों का दावा

फिर ईसवी १८१३ के आसपास इन हिंदू संगठनों ने सबसे पहले दावा किया, कि बाबर ने मंदिर को तोड़कर राम मंदिर की जगह मस्जिद बनाई।

फ़ैज़ाबाद के ब्रिटिश अधिकारियों ने यह भी अनुमान लगाया, कि इस मस्जिद को एक मंदिर से बदल दिया गया होगा, क्योंकि उनके विवरण अनुसार मस्जिद में हिंदू कलाकृतियाँ पाई गई थीं।

वरिष्ठ वकील वैद्यनाथन ने मोंटगोमरी मार्टिन की सर्वेक्षण वृत्तांत या प्रतिवेदन कोर्ट को सौंपी। उन्होंने अपनी किताब में बाबरी मस्जिद के सर्वेक्षण के मुताबिक कहा कि वहां के खंभे इस्लामी वास्तुकला के नहीं थे। उनके मुताबिक मस्जिद के निर्माण में मंदिर के खंभों का ही इस्तेमाल किया गया होगा।

हिंदू संगठनों के दावे के बाद की अहम घटनाएं

दिवाली २०२३ के अवसर पर बनाई गई अयोध्या राम मंदिर की प्रतिकृति

  • अवध नवाब वाजिद अली शाह के शासनकाल के दौरान ईसवी १८५३ में यहां पहला बड़ा दंगा हुआ था। ईसवी १९५५ में मस्जिद के बाहर पूजा की अनुमति दी गई। फिर ईसवी १८५९ में अंग्रेजों ने इस जगह के चारों ओर एक सुरक्षा दीवार का निर्माण किया। लेकिन, हिंदू स्थानीय लोगों के अनुसार, मस्जिद के तीन गुंबदों के नीचे राम जन्मस्थान होने की मान्यता है। जिस वजह से यह स्थान हिन्दुओं के लिए महत्व रखता है। जहां सिर्फ मुसलमानों को ही नमाज पढ़ने की इजाजत थी।
  • फिर ईसवी १८८५ में हिंदू संगठनों ने अदालत में निवेदन किया। निर्मोही अखाड़े के महंत श्री रघुवीर दास ने राम चबूतरे पर छत बनाने की इजाजत मांगी। हालांकि, कोर्ट ने उनकी मांग खारिज कर दी।
  • ईसवी १९३४ के दंगों के कारण मस्जिद की एक दीवार नष्ट हो गई। लेकिन वह दीवार पूरी तरह बन जाने के बाद भी यहां नमाज पढ़ना बंद कर दिया गया था।
  • इस विवाद ने ईसवी १९४९ में एक अलग मोड़ ले लिया। क्योंकि मस्जिद में भगवान राम की मूर्ति मिली थी। मुसलमानों का मानना था, कि मूर्ति रखी गई है जबकि हिंदुओं का मानना था, कि रामजी स्वयं वहां प्रकट हुए है। उसके बाद किसी ने भी मूर्ति हटाने की हिम्मत नहीं की, क्योंकि ऐसा करने से फिर से दंगे भड़क जाते।
  • ईसवी १९५० में निर्मोही अखाड़े ने न्यायलय से दो मांगें कीं, पहली मांग थी कि उस जगह रामलल्ला की करने की अनुमति दे और दूसरी मांग थी कि इस स्थान पर भगवान राम की मूर्ति स्थापित की जाए।
  • उसके बाद यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ईसवी १९६१ में मस्जिद स्थल पर कब्ज़ा करने और मूर्ति हटाने के लिए एक मांग आवेदन किया गया।
  • विश्व हिंदू परिषद ने ईसवी १९८४ में पहली बार इस स्थान पर मंदिर स्थापित करने के लिए एक समिति का गठन किया गया।
  • फैजाबाद जिला न्यायाधीश के. एम. पांडे द्वारा यू. सी. पांडे की याचिका पर १ फरवरी, ईसवी १९८६ में ढांचे पर लगे ताले को हटाने का आदेश दिया गया और हिंदुओं को इसके स्थान पर पूजा करने की अनुमति दी गई।
  • ६ दिसंबर, ईसवी १९९२ में आज ही के दिन विश्व हिंदू परिषद, शिवसेना और अन्य हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था। इन कार्यकर्ताओं को कारसेवक कहा जाता था।
  • ईसवी २००२ में, अयोध्या में आयोजित महायज्ञ से लौटते समय गोधरा में हिंदू यात्रियों को ले जा रहे एक ट्रेन कोच में आग लग गई। जिसमें ५९ हिंदू लोगों की मौत हो गई। इसके बाद गुजरात में व्यापक दंगे हुए, जिसमें २००० से अधिक लोग मारे गए।
  • इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने ईसवी २०१० में राम मंदिर के लिए रामलल्ला विराजमान, निमोही अखाड़ा और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच तीन बराबर हिस्सों में जमीन बांटने का आदेश दिया गया था।
  • ईसवी २०११ में हिंदू संगठनों ने उच्चतम न्यायालय में अपील की। इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के कार्रवाई या क्रियान्वयन पर रोक लगा दी।
  • फिर ईसवी २०१७ में न्यायालय ने आपस में बातचीत कर न्यायालय से बाहर समझौता करने का निवेदन किया। इस बीच एक बार फिर बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं पर साजिश का आरोप लगा था।
  • ८ मार्च, ईसवी २०१९ को उच्चतम न्यायालय में में, इस मामले को ८ सप्ताह के भीतर कार्यवाही पूरी करने के लिए मध्यस्थताओं के पास भेजा गया था।
  • १ अगस्त, ईसवी २०१९ के दिन मध्यस्थता द्वारा दोनों मुलज़िमों ने अपनी रिपोर्ट न्यायालय को सौंपी।
  • २ अगस्त, ईसवी २०१९ के दिन अदालत ने पुष्टि की कि मध्यस्थ यह यह मामला सुलझाने में विफल रहे है।
  • अयोध्या भूमि विवाद मामले की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करने के लिए उच्चतम न्यायालय ने ६ अगस्त, ईसवी २०१९ से रोजाना सुनवाई शुरू कर दी।
  • मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय ने ६ अगस्त, ईसवी २०१९ को पूरी कर ली थी, लेकिन कोर्ट ने दोबारा जांच के लिए फैसला सुरक्षित रखा था।
  • ९ नवंबर, ईसवी २०१९ को पांच न्यायाधीशों की खण्डपीठ द्वारा हिंदू के पक्ष में फैसला सुनाया। राम मंदिर के लिए २.७७ एकड़ मस्जिद की जमीन दी गई और मस्जिद के लिए ५ एकड़ अलग से जमीन देने का आदेश दिया गया।
  • हिंदुओं के लिए भूमि के महत्व को देखते हुए, साथ ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ए. एस. आई.) के प्रतिवेदन में पहले एक हिंदू मंदिर के होने की पुष्टि की गई थी, इसलिए निर्णय हिंदुओं के पक्ष में दिया गया। लेकिन इस फैसले से मुस्लिम समुदाय और उनकी आस्था को झटका न लगे इसलिए उन्हें अलग से जमीन देने का आदेश दिया गया।
  • लगभग २८ साल बाद २५ मार्च, ईसवी २०२० को राम लल्ला मंडपम से निकेल फाइबर मंदिर में स्थानांतरित हो गए।
  • ५ अगस्त, ईसवी २०२० को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम आख़िरकार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया गया। इस मौके पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक सरसंघचालक मोहन भागवत, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई ऋषि-मुनि समेत १७५ अन्य प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया था। सबसे पहले हनुमानगढ़ी में दर्शन करने के बाद मोदी राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए।

Subscribe Now For Future Updates!

Join and recieve all future updates for FREE!

Congrats!! Now you are part of HN family!

Pin It on Pinterest