आज, मैं आपके साथ भारत के प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्मारकों के संग्रह को साझा कर रहा हूँ। इन स्मारकों के बारे में यह जानकारी निश्चित रूप से भारतीय इतिहास को जानने में आपकी मदद करेगी।
ऐतिहासिक भारतीय स्मारक
भारत के स्मारक भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत की एक महान ऐतिहासिक पार्श्वभूमि है। इसीलिए, आपको भारत में कई खूबसूरत और ऐतिहासिक स्थान देखने को मिलते हैं। विदेशियों को भारत के स्मारकों में बहुत रुचि है। कुछ स्मारकों के बारे में यहां तक कि विदेशियों के साथ-साथ भारतीय भी नहीं जानते हैं। भारत के पूर्वी तट से लेकर पश्चिम में बंगाल की खाड़ी तक, साथ ही उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में गंगोत्री तक फैले ऐतिहासिक स्थल आज भी भारत के गौरवशाली इतिहास के साक्षी बनाकर खड़े हैं।
यह बहुमूल्य भारतीय स्मारकें मंदिरों, किलों, महलों और संग्रहालयों के रूप में स्थित हैं। इनमें से कई स्मारकें ऐतिहासिक महत्ता के साक्ष आभाव से दुनिया से छिपे रहे। आपने टेलीविजन पर किताबों में इनमें से कुछ प्रसिद्ध स्थानों के बारे में सुना होगा। हमने कुछ सबसे महत्वपूर्ण और गुप्त स्थानों को एकत्र किया है, जो स्थल हर किसीको पता होने चाहिए।
सेवन वंडर्स फाउंडेशन (*):
न्यू सेवन वंडर्स फाउंडेशन ने कैनेडियन-स्विस बर्नार्ड वेबर के नेतृत्व में स्विट्जरलैंड में लॉन्च किया था। हर साल, यह संगठन आठ मौजूदा स्मारकों में से जनमत के मत से एक अद्भुत स्मारक का चयन करता है।
भारत के स्मारक
भारत में बहुत सारे स्मारक थे जो भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए, ये स्मारक भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण स्रोत माने जाते हैं।
1) ताजमहल
ताज महल- भारत का स्मारक

ताजमहल को “प्यार का स्मारक” कहा जाता है। ताजमहल भारत में ऐतिहासिक धरोहरों वाले शहर आगरा में दुनिया की सबसे खूबसूरत इमारत के रूप में प्रसिद्ध है। इस भवन का निर्माण क्यों हुआ यह एक विवादास्पद विषय हैं। हालाँकि, यह माना जाता था कि शाहजहाँ ने अपनी तीसरी पत्नी, मुमताज़ महल की याद में स्मारक बनवाया था। ताजमहल में मुख्य रूप से मुमताज महल की कब्र है। शाहजहाँ का मकबरा भी यहाँ मिला था।
विशेषताएँ
यमुना नदी के तट पर सफेद रंग की संगमरमर की इमारत दुनिया भर के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।
ताजमहल मुगल वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। इसे इंडो-इस्लामिक वास्तुकला का संयोजन माना जाता है। इंडो-इस्लामिक का अर्थ इस्लामी, फारसी, तुर्की और भारतीय वास्तुकला का संगम है। व्यापक उद्यान, वृत्ताकार गुंबद, मीनारें और जालीदार नक्काशी मुगल वास्तुकला की विशेषताएं मानी जाती हैं। मुख्य ईमारत की तीन दीवारों के बिच एक विस्तीर्ण बगीचा, एक गेस्ट हाउस और एक मस्जिद शामिल हैं।
यह भारत के सभी स्मारकों में से सबसे प्रसिद्ध स्मारक हैं। हर साल दुनिया भर के लगभग 5 से 7 लाख पर्यटक भारत में सिर्फ ताजमहल देखने आते हैं। इमारत का कुल क्षेत्रफल, 2 हेक्टेयर के क्षेत्र को कवर करता हैं। खर्चा देखा जाए तो ५२.८ बिलियन डॉलर (८२७ मिलियन डॉलर) थी, जिसका मतलब ८२.७ करोड़ रुपये था। ताजमहल को ७ वें मेमोरियल चयन के विजेता के रूप में ताज पहनाया गया।
विश्व विरासत स्थल
न्यू सेवन वंडर्स फाउंडेशन (*)। सन १६३२ साल में शुरू हुआ ताजमहल का निर्माण लगभग २१ साल में यानि की सन १६५३ में पूरा हुआ। मुख्य ईमारत की संरचना आयताकार है, और इसमें प्रवेश के लिए बड़े द्वार हैं। प्रवेश करने पर, उनके सामने फव्वारे, भव्य बगीचा और शानदार ताजमहल को देख मन प्रफुल्लित हो जाता हैं। आंतरिक वास्तुकला बाहरी सुंदरता के साथ समान रूप से आकर्षक है। यूनेस्को द्वारा 1983 में ताजमहल को विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था। ताजमहल भारत के इस्लामी जगत और विश्व विरासत का एक उत्कृष्ट नमूना था।
2) कुतुब मीनार: महत्व
कुतुब मीनार- ऐतिहासिक भारतीय वास्तु
चित्र साभार: हेमंत बंसवाल
दिल्ली में मध्ययुगीन काल बना कुतुब मीनार हमेशा से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा है। कुतुब मीनार दिल्ली के प्रसिद्ध स्मारकों में से एक है। क़ुतुब मीनार एक मस्जिद के आकार की वास्तु है, जिसमें नींव, चढ़ाई के लिए सीढ़ियाँ, गोलाकार छत और शिखर शामिल हैं। कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करने के बाद, यह स्मारक आज भी भारत के गौरवशाली इतिहास का प्रमाण है। यूनेस्को ने महरौली में स्थित कुतुब मीनार को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया।
ऐतिहासिक महत्व
भारत का कुतुब मीनार ममलुक वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक द्वारा बनाया गया था। दिल्ली में सुल्तानशाही के संस्थापक कुतुबुद्दीन ऐबक ने ११९२ में कुतुब मीनार का निर्माण शुरू किया था। कुतुबुद्दीन ऐबक का कार्यकाल १२०६ से १२१० साल, यानि की चार साल का था। उसके बाद के शासकों ने कुतुब मीनार के आधे काम को पूरा किया।
कुतुब मीनार की ऊंचाई लगभग २३ मीटर है, और व्यास १४.३ मीटर (४७ फीट) है। जैसे-जैसे शिखर करीब आता है, इसका व्यास घटता चला जाता है। टॉवर के शीर्ष पर, इसका व्यास २.७ मीटर (९ फीट) कम है। कुतुब मीनार वास्तुकला का अद्भुत एक नमूना है।
इसकी आकर्षक नक्काशी पर्यटकों को आकर्षित करती है। इसी जगह की इस कुतुब मीनार के अलावा, अन्य इमारतें मध्यकालीन वास्तुकला द्वारा की गई प्रगति को साबित करती हैं। लोह स्तंभ मध्यकालीन धातु का एक अविश्वसनीय उदाहरण है। धुप, हवा और बारिश इस स्तंभ को प्रभावित नहीं करते। इस स्तंभ की विशेषता है, की इसपर अभी तक जंग नहीं लगा है। उसके अलावा, अलाई दरवाजा जैसी कई प्राचीन इमारतें हैं। यहाँ की वास्तुये और उनपर की गयी नक्काशी देखकर लोग पुरातन कला की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाते।
यहाँ पर होनेवाला कुतुब महोत्सव सभी मुसाफिरों के लिए विशेष होता हैं। इस आयोजन में सभी वास्तु की जानकारी दी जाती हैं।